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मोबाइल नंबर क्यों होते हैं सिर्फ 10 अंकों के? जानिए दिलचस्प वजह

नई दिल्ली। मोबाइल नंबर आज हर किसी की पहचान बन चुका है। बैंकिंग से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह इसका इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया कि भारत में मोबाइल नंबर सिर्फ 10 अंकों के ही क्यों रखे गए हैं?

दरअसल, जब मोबाइल सेवाओं की शुरुआत हुई तो दूरसंचार विभाग (DoT) और TRAI ने तय किया कि पूरे देश में एक जैसी लंबाई के नंबर होने चाहिए। इसी दौरान 10 अंकों का फॉर्मेट सबसे उपयुक्त माना गया।

सोचिए अगर आपका मोबाइल नंबर 8 अंकों का होता तो? या फिर 12 अंकों का? शायद याद रखना मुश्किल हो जाता या देश की आबादी के हिसाब से नंबर कम पड़ जाते। यही वजह है कि भारत में मोबाइल नंबर 10 अंकों का फिक्स किया गया है। अगर मोबाइल नंबर 8 अंकों का होता तो सिर्फ 10 करोड़ कॉम्बिनेशन मिलते, जो भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश के लिए बहुत कम थे। अगर 12 या 13 अंकों का होता तो कॉम्बिनेशन तो ज्यादा मिलते, लेकिन लोगों के लिए याद रखना मुश्किल हो जाता। वहीं 10 अंकों में करीब 100 करोड़ (1 अरब) यूनिक नंबर बनने की क्षमता है, जो भारत के लिए पर्याप्त है। मोबाइल नंबर हमेशा 9, 8, 7 या 6 से शुरू होता है। इससे साफ होता है कि यह नंबर मोबाइल नेटवर्क का है, न कि लैंडलाइन का। आज के दौर में मोबाइल नंबर हर इंसान की डिजिटल पहचान बन चुका है। चाहे बैंकिंग हो, सोशल मीडिया या आधार वेरिफिकेशन, सब जगह मोबाइल नंबर जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में अगर 10 अंकों वाले कॉम्बिनेशन भी खत्म होने लगे तो सरकार नया नंबरिंग सिस्टम ला सकती है। हालांकि अभी के लिए 10 अंक ही सबसे बेहतर और संतुलित विकल्प हैं।

 

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